डिजिटल मार्केटिंग: ऑनलाइन व्यापार के लिए एक प्रभावी रणनीति

डिजिटल मार्केटिंग एक ऐसी मार्केटिंग रणनीति है जिसमें ऑनलाइन प्लेटफार्म और डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके उत्पादों, सेवाओं, या ब्रांड्स का प्रचार किया जाता है। इसके माध्यम से व्यवसाय अपने लक्षित दर्शकों तक इंटरनेट के माध्यम से पहुँचते हैं। डिजिटल मार्केटिंग में कई तरीके शामिल होते हैं:

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO): यह प्रक्रिया वेबसाइट को सर्च इंजनों (जैसे गूगल) के परिणामों में बेहतर रैंक दिलाने के लिए होती है, जिससे वेबसाइट पर ज़्यादा ट्रैफ़िक आता है।

कंटेंट मार्केटिंग: इसमें आकर्षक और उपयोगी सामग्री बनाना और उसका वितरण करना शामिल होता है, ताकि विशिष्ट दर्शकों को अपने ब्रांड की तरफ आकर्षित किया जा सके।

सोशल मीडिया मार्केटिंग: इसमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर) का उपयोग करके ब्रांड का प्रचार और लोगों के साथ संवाद किया जाता है।

ईमेल मार्केटिंग: इसमें व्यवसाय ग्राहकों को ईमेल के माध्यम से जानकारी, ऑफ़र, और अपडेट भेजते हैं।

पे-पर-क्लिक (PPC) विज्ञापन: इसमें व्यवसाय ऑनलाइन विज्ञापनों के लिए उस समय भुगतान करते हैं जब कोई उपयोगकर्ता उनके विज्ञापन पर क्लिक करता है।

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unified pension scheme UPS

Unified Pension Scheme (UPS) 2024: Government Employees’ Guide to Enhanced Retirement Benefits

Understanding the Unified Pension Scheme (UPS): A New Era for Government Employees

In a significant move aimed at enhancing the financial security  of government employees, the Indian government recently approved the Unified Pension Scheme (UPS). This scheme, set to take effect from April 1, 2025, promises to offer a balanced approach to pension benefits, combining features of both the Old Pension Scheme (OPS) and the National Pension System (NPS). Here’s a detailed look at what the UPS entails and how it stands to benefit government employees.

Key Features of the Unified Pension Scheme (UPS)
Assured Pension:

Under the UPS, government employees will receive an assured pension amounting to 50% of the average basic pay drawn over the last 12 months prior to retirement. This benefit applies to employees with a minimum qualifying service of 25 years. For those with less service, the pension will be proportionate, with a minimum qualifying service of 10 years.

Family Pension:

In the unfortunate event of an employee’s death, the UPS ensures that their family receives a pension equivalent to 60% of the pension the employee was receiving.

Minimum Pension Guarantee:

The scheme guarantees a minimum pension of ₹10,000 per month for employees who have completed at least 10 years of service.

Inflation Indexation:

To protect against inflation, both the assured pension and family pension will be adjusted periodically based on the All India Consumer Price Index for Industrial Workers (AICPI-IW).

Lump Sum Payment:

In addition to the pension benefits, employees will receive a lump sum payment at the time of retirement. This payment will be equivalent to 1/10th of their monthly emoluments (including basic pay and Dearness Allowance) for every completed six months of service.

Comparison with the National Pension System (NPS)

The UPS presents a shift from the existing NPS, which was introduced in 2004 to replace the OPS. Unlike the NPS, which is a contributory system with market-linked returns, the UPS guarantees a fixed pension, providing more predictability and financial security to retirees. Additionally, while the NPS requires contributions from both employees and the government, the UPS increases the government’s contribution from 14% to 18.5%, with the employee’s contribution remaining at 10%.

Impact on Government Employees

The introduction of the UPS is expected to benefit around 23 lakh central government employees, offering them greater financial stability in retirement. It addresses long-standing demands from employees who were dissatisfied with the NPS’s lower returns and lack of a guaranteed pension. With this new scheme, the government aims to provide a pension system that is both financially sustainable and generous.

Fiscal Implications

The UPS is expected to cost the government an additional ₹6,250 crore annually. This increase in expenditure reflects the government’s commitment to ensuring that its employees enjoy a secure and dignified retirement. However, the fiscal prudence of this scheme is balanced by maintaining it as a contributory scheme, unlike the unfunded OPS.

Conclusion

The Unified Pension Scheme marks a significant step forward in the evolution of India’s pension system for government employees. By combining the benefits of the OPS and NPS, the UPS offers a more secure and predictable retirement for government employees while balancing the fiscal responsibilities of the government. As the scheme rolls out in 2025, it is expected to set a new standard for public sector pensions in India.

For more information and detailed guidelines on the Unified Pension Scheme, visit the official Press Information Bureau release.

यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS): सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया युग

यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS) को समझना: सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया युग

सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय सरकार ने हाल ही में यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS) को मंजूरी दी है। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी और इसमें पुरानी पेंशन योजना (OPS) और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) दोनों के फीचर्स को जोड़ा गया है। आइए जानते हैं कि UPS क्या है और यह सरकारी कर्मचारियों के लिए कैसे लाभकारी है।

यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS) की मुख्य विशेषताएँ

गारंटीकृत पेंशन:

UPS के तहत, सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के 12 महीनों के दौरान लिए गए औसत बेसिक वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। यह लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जिनकी न्यूनतम सेवा अवधि 25 वर्ष है। जिनकी सेवा अवधि कम है, उनके लिए पेंशन प्रपोर्शनल होगी, जिसमें न्यूनतम सेवा अवधि 10 वर्ष की होगी।
पारिवारिक पेंशन:

कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में, UPS यह सुनिश्चित करता है कि उनके परिवार को 60% पेंशन मिलेगी, जो कर्मचारी को मिल रही थी।

न्यूनतम पेंशन गारंटी:

इस योजना के तहत, कम से कम 10 साल की सेवा वाले कर्मचारियों को ₹10,000 प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाएगी।

महंगाई सूचकांक:

पेंशन और पारिवारिक पेंशन दोनों को समय-समय पर महंगाई सूचकांक के आधार पर समायोजित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पेंशन बढ़ती लागत के साथ तालमेल बनाए रखे।

एकमुश्त भुगतान:

पेंशन लाभों के अलावा, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान भी मिलेगा, जो उनके मासिक वेतन (बेसिक वेतन और महंगाई भत्ता सहित) के 1/10 वें हिस्से के बराबर होगा, जो उनकी सेवा की प्रत्येक छमाही के लिए पूरा किया गया है।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) से तुलना

UPS, मौजूदा NPS से एक बदलाव प्रस्तुत करता है, जिसे 2004 में OPS को बदलने के लिए पेश किया गया था। NPS के विपरीत, जो एक कॉन्ट्रिब्यूटरी सिस्टम है जिसमें बाजार-लिंक्ड रिटर्न होता है, UPS एक निश्चित पेंशन की गारंटी देता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसके अलावा, जबकि NPS के लिए कर्मचारियों और सरकार दोनों से योगदान की आवश्यकता होती है, UPS में सरकार का योगदान 14% से बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है, जबकि कर्मचारी का योगदान 10% ही रहेगा।

सरकारी कर्मचारियों पर प्रभाव

UPS के लागू होने से लगभग 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद अधिक वित्तीय स्थिरता मिलेगी। यह उन कर्मचारियों की लंबी मांगों को पूरा करता है जो NPS के कम रिटर्न और गारंटीकृत पेंशन की कमी से असंतुष्ट थे। इस नई योजना के साथ, सरकार का उद्देश्य एक ऐसा पेंशन सिस्टम प्रदान करना है जो वित्तीय रूप से स्थिर और उदार हो।

वित्तीय प्रभाव

UPS सरकार को प्रति वर्ष अतिरिक्त ₹6,250 करोड़ खर्च करने की संभावना है। इस खर्च में वृद्धि से यह प्रतिबिंबित होता है कि सरकार अपने कर्मचारियों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक रिटायरमेंट सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, इस योजना की वित्तीय समझदारी को कॉन्ट्रिब्यूटरी योजना के रूप में बनाए रखने से संतुलित किया गया है, जो कि OPS के विपरीत है जो अनफंडेड था।

निष्कर्ष

यूनिफाइड पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए भारत के पेंशन सिस्टम में एक महत्वपूर्ण कदम है। OPS और NPS के लाभों को जोड़कर, UPS सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अधिक सुरक्षित और अनुमानित रिटायरमेंट प्रदान करता है, जबकि सरकार की वित्तीय जिम्मेदारियों को संतुलित करता है। 2025 में इस योजना के लागू होने के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि यह योजना भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की पेंशनों के लिए एक नया मानक स्थापित करेगी।

अधिक जानकारी और यूनिफाइड पेंशन योजना के विस्तृत दिशानिर्देशों के लिए, आधिकारिक प्रेस सूचना ब्यूरो रिलीज़ पर जाएं।

initial public offer

What is An Initial Public Offering (IPO)?

What is an IPO?


An Initial Public Offering (IPO) is the process through which a private company offers shares of its stock to the public for the first time. When a company decides to go public, it sells a portion of its ownership in the form of shares to investors on the stock market. This process allows the company to raise capital to fund its growth, pay off debt, or invest in new projects.

Why Do Companies Go Public?

Raising Capital: Companies can raise significant amounts of money by selling shares to the public.
Increasing Visibility and Credibility: Going public can enhance a company’s profile, making it more visible and credible to potential customers, partners, and investors.
Providing Liquidity: Existing shareholders, such as founders, employees, and early investors, can sell their shares, making their investments liquid.
Attracting and Retaining Talent: Public companies can offer stock options as part of employee compensation, attracting and retaining top talent.

How to Purchase an IPO
Buying shares in an IPO is a bit different from purchasing regular stocks. Here’s how you can participate:

Open a Demat and Trading Account:

You need a Demat account to hold shares in electronic form and a trading account to buy and sell shares. These accounts can be opened with any registered stockbroker or bank.

Check Eligibility:

IPOs can have different categories of investors, such as retail, institutional, or non-institutional. Ensure you fall under the appropriate category and meet any minimum investment criteria.

Research the IPO:

Before investing, it’s important to read the red herring prospectus (RHP) provided by the company. This document contains vital information about the company’s financials, risks, and the purpose of the IPO.

Apply for the IPO:

You can apply for an IPO through your stockbroker or bank using the Application Supported by Blocked Amount (ASBA) method. This method blocks the amount you wish to invest in the IPO in your bank account until the shares are allocated.
Fill out the IPO application form with the number of shares you wish to purchase and submit it before the closing date.

Allotment Process:

Once the IPO subscription period closes, the shares are allocated to investors based on demand. If the IPO is oversubscribed (more demand than available shares), you may not receive the full number of shares you applied for.

Listing on Stock Exchange:

After the shares are allotted, they will be credited to your Demat account, and the company’s shares will be listed on the stock exchange on a specific date. You can then trade these shares just like any other stock.

Tips for Investing in IPOs
Research Thoroughly: Understand the company’s business model, financial health, and market potential.
Assess Risks: IPOs can be volatile, and not all IPOs result in profits. Consider your risk tolerance.
Long-term Perspective: Consider holding onto your shares if the company has strong growth potential, rather than selling immediately after listing.
By following these steps and tips, you can participate in an IPO and potentially benefit from the company’s growth as it transitions from private to public ownership.

To open a Demat and trading account with Globe Capital Market Ltd, you can follow the link provided below:

Open Demat and Trading Account with Globe Capital Market Ltd

India’s GDP Shows Robust Growth in FY 2023-24: A Detailed Analysis

India’s economy has demonstrated remarkable resilience and growth in the fiscal year 2023-24, with the latest data from the Ministry of Statistics and Program Implementation (MoSPI) highlighting an impressive 8.2% increase in real GDP. This significant growth, up from 7.0% in the previous fiscal year, underscores the robust recovery of the Indian economy despite global uncertainties.

Key Highlights:
Real GDP Growth: The real GDP of India for FY 2023-24 is estimated to be ₹173.82 lakh crore, marking an 8.2% growth over the previous year. This is a clear indicator of the country’s economic recovery and strength.

Sectoral Performance: The manufacturing sector has been a major contributor to this growth, showing a 9.9% increase, a significant recovery from the -2.2% contraction seen in the previous fiscal year. The mining and quarrying sector also performed well, with a growth rate of 7.1%.

Quarterly Performance: The fourth quarter (January-March 2024) saw a 7.8% growth in real GDP, driven by strong performances in private consumption, exports, and manufacturing.

Nominal GDP Growth: Nominal GDP, which is not adjusted for inflation, grew by 9.6% in FY 2023-24, reaching ₹295.36 lakh crore, compared to ₹269.50 lakh crore in FY 2022-23.

Factors Driving Growth:
Several factors contributed to this robust performance:

Manufacturing Revival: The manufacturing sector, which had been struggling in the previous years, made a significant comeback, contributing heavily to overall economic growth.
Improved Exports: Indian exports, particularly in high-value manufactured goods like pharmaceuticals, chemicals, and electronics, saw substantial growth.
Strong Private Consumption: Despite inflationary pressures, private consumption remained strong, particularly during the festive season and major events like the Cricket World Cup.
Future Outlook:
Looking forward, India’s economic growth is expected to continue, with estimates for FY 2024-25 suggesting a growth rate between 7.0% and 7.2%. This optimism is supported by continued policy reforms, a stable global economic environment, and increasing domestic demand.

India’s economic performance in FY 2023-24 has not only reinforced its position as one of the fastest-growing major economies but also set the stage for sustained growth in the coming years. The government’s focus on key sectors, along with favorable global conditions, is likely to keep the momentum going.

For businesses and investors, these trends offer significant opportunities, particularly in sectors like manufacturing, exports, and consumer goods. As India continues to integrate more deeply into the global economy, these growth trends could lead to substantial long-term benefits.

References:

Ministry of Statistics and Program Implementation (MoSPI) – GDP Report
Press Information Bureau – Press Release

What is stock market?

The stock market is a marketplace where investors buy and sell shares (also known as stocks or equities) of publicly traded companies. It serves as a platform for companies to raise capital by issuing shares to the public, and for investors to participate in the ownership of these companies with the potential to earn returns through dividends and capital appreciation.

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What is Accounting?

One commonly accepted definition of accounting, provided by the American Institute of Certified Public Accountants (AICPA), is:

“Accounting is the art of recording, classifying, and summarizing in a significant manner and in terms of money, transactions, and events which are, in part at least, of a financial character, and interpreting the results thereof.”

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What is Accounting? I लेखांकन क्या है?

What is Accounting?लेखांकन क्या है?
Accounting is the systematic process of recording, summarizing, and analyzing financial transactions of a business or organization. It involves tracking income, expenses, assets, liabilities, and equity to provide a clear financial picture of the organization. Accounting is essential for decision-making, financial reporting, compliance with legal requirements, and effective financial management.लेखांकन एक व्यवसाय या संगठन के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करने, संक्षेपण करने और विश्लेषण करने की एक प्रणालीगत प्रक्रिया है। इसमें आय, व्यय, संपत्ति, देनदारियाँ और इक्विटी को ट्रैक करना शामिल है ताकि संगठन की एक स्पष्ट वित्तीय तस्वीर प्रस्तुत की जा सके। निर्णय लेने, वित्तीय रिपोर्टिंग, कानूनी आवश्यकताओं का पालन करने और प्रभावी वित्तीय प्रबंधन के लिए लेखांकन आवश्यक है।
Accounting Processलेखांकन प्रक्रिया
The accounting process involves several steps that collectively ensure accurate financial record-keeping and reporting. Here’s an overview of the key steps in the accounting process:लेखांकन प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं जो सामूहिक रूप से सटीक वित्तीय रिकॉर्ड-कीपिंग और रिपोर्टिंग सुनिश्चित करते हैं। लेखांकन प्रक्रिया में मुख्य चरणों का एक अवलोकन यहां दिया गया है:
1. Identifying Transactions1. लेनदेन की पहचान करना
The first step in the accounting process is identifying financial transactions that need to be recorded. These transactions can include sales, purchases, receipts, payments, etc. Only transactions that can be expressed in monetary terms are recorded.लेखांकन प्रक्रिया का पहला चरण उन वित्तीय लेनदेन की पहचान करना है जिन्हें रिकॉर्ड करने की आवश्यकता है। इन लेनदेन में बिक्री, खरीद, रसीदें, भुगतान आदि शामिल हो सकते हैं। केवल वे लेनदेन रिकॉर्ड किए जाते हैं जिन्हें मौद्रिक रूप से व्यक्त किया जा सकता है।
2. Recording Transactions (Journalizing)2. लेनदेन को रिकॉर्ड करना (जर्नलाइजिंग)
Once identified, transactions are recorded in the accounting books, typically in a journal. This process is known as journalizing. Each transaction is recorded as a journal entry, which includes the date, accounts affected, and amounts.पहचान किए जाने के बाद, लेनदेन को लेखांकन पुस्तकों में रिकॉर्ड किया जाता है, आमतौर पर एक जर्नल में। इस प्रक्रिया को जर्नलाइजिंग कहा जाता है। प्रत्येक लेन-देन को एक जर्नल प्रविष्टि के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है, जिसमें दिनांक, प्रभावित खाते और राशि शामिल होती हैं।
3. Posting to the Ledger3. लेजर में पोस्टिंग करना
After recording transactions in the journal, the next step is to post these entries to the general ledger. The ledger is a book or digital record that summarizes all the financial transactions by account. Each account in the ledger will have debits and credits that reflect the transactions recorded in the journal.जर्नल में लेन-देन को रिकॉर्ड करने के बाद, अगला कदम इन प्रविष्टियों को सामान्य लेजर में पोस्ट करना है। लेजर एक पुस्तक या डिजिटल रिकॉर्ड है जो खाते के अनुसार सभी वित्तीय लेनदेन का सारांश प्रस्तुत करता है। लेजर में प्रत्येक खाते में डेबिट और क्रेडिट होते हैं जो जर्नल में रिकॉर्ड किए गए लेनदेन को दर्शाते हैं।
4. Preparing a Trial Balance4. ट्रायल बैलेंस तैयार करना
A trial balance is prepared to ensure that the ledger balances are accurate. It involves listing all the ledger accounts and their balances at a specific point in time. The total debits should equal the total credits, ensuring the accounts are balanced.लेजर बैलेंस की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए ट्रायल बैलेंस तैयार किया जाता है। इसमें सभी लेजर खातों और उनकी शेष राशियों को एक विशिष्ट समय पर सूचीबद्ध करना शामिल है। कुल डेबिट को कुल क्रेडिट के बराबर होना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि खाते संतुलित हैं।
5. Adjusting Entries5. समायोजन प्रविष्टियाँ
Adjusting entries are made at the end of the accounting period to account for any income or expenses that have been earned or incurred but not yet recorded. Common adjustments include accruals, deferrals, depreciation, and inventory adjustments.लेखांकन अवधि के अंत में कोई आय या व्यय के लिए समायोजन प्रविष्टियाँ की जाती हैं जिन्हें अर्जित किया गया है या किया गया है लेकिन अभी तक रिकॉर्ड नहीं किया गया है। सामान्य समायोजन में उपार्जन, स्थगन, मूल्यह्रास और सूची समायोजन शामिल हैं।
6. Preparing Financial Statements6. वित्तीय विवरण तैयार करना
After adjusting entries are made, financial statements are prepared. The main financial statements include:
Income Statement: Shows the company’s revenues and expenses during a specific period, resulting in net profit or loss.
Balance Sheet: Provides a snapshot of the company’s financial position at a specific point in time, including assets, liabilities, and equity.
Cash Flow Statement: Shows the inflows and outflows of cash during a specific period.
Statement of Changes in Equity: Reflects changes in the ownership interest of the company over a period.
समायोजन प्रविष्टियाँ करने के बाद, वित्तीय विवरण तैयार किए जाते हैं। मुख्य वित्तीय विवरणों में शामिल हैं:
आय विवरण: एक विशिष्ट अवधि के दौरान कंपनी की आय और व्यय को दर्शाता है, जिसके परिणामस्वरूप शुद्ध लाभ या हानि होती है।
बैलेंस शीट: एक विशिष्ट समय पर कंपनी की वित्तीय स्थिति का स्नैपशॉट प्रदान करता है, जिसमें संपत्ति, देनदारियां और इक्विटी शामिल हैं।
कैश फ्लो स्टेटमेंट: एक विशिष्ट अवधि के दौरान नकदी की आवक और जावक को दर्शाता है।
इक्विटी में परिवर्तन का विवरण: एक अवधि में कंपनी की स्वामित्व हिस्सेदारी में परिवर्तन को दर्शाता है।
7. Closing Entries7. समापन प्रविष्टियाँ
At the end of the accounting period, closing entries are made to transfer the balances of temporary accounts (revenues, expenses, and dividends) to the retained earnings account. This step resets the balances of these accounts to zero, preparing them for the next accounting period.लेखांकन अवधि के अंत में, अस्थायी खातों (राजस्व, व्यय और लाभांश) की शेष राशि को बनाए रखी गई आय खाते में स्थानांतरित करने के लिए समापन प्रविष्टियाँ की जाती हैं। यह चरण इन खातों की शेष राशि को शून्य पर रीसेट करता है, जिससे उन्हें अगले लेखांकन अवधि के लिए तैयार किया जाता है।
8. Post-Closing Trial Balance8. पोस्ट-क्लोजिंग ट्रायल बैलेंस
After closing entries are made, a post-closing trial balance is prepared. This trial balance ensures that all debits and credits are in balance after closing entries and that only permanent accounts (assets, liabilities, and equity) remain open.समापन प्रविष्टियाँ करने के बाद, एक पोस्ट-क्लोजिंग ट्रायल बैलेंस तैयार किया जाता है। यह ट्रायल बैलेंस सुनिश्चित करता है कि समापन प्रविष्टियों के बाद सभी डेबिट और क्रेडिट संतुलित हों और केवल स्थायी खाते (संपत्ति, देनदारियां और इक्विटी) खुले रहें।
9. Reversing Entries (Optional)9. रिवर्सिंग प्रविष्टियाँ (वैकल्पिक)
Reversing entries are optional and are made at the beginning of the new accounting period. These entries are the opposite of adjusting entries made in the previous period and are used to simplify the recording of transactions in the new period.रिवर्सिंग प्रविष्टियाँ वैकल्पिक होती हैं और नई लेखांकन अवधि की शुरुआत में की जाती हैं। ये प्रविष्टियाँ पिछले अवधि में किए गए समायोजन प्रविष्टियों के विपरीत होती हैं और नई अवधि में लेनदेन को रिकॉर्ड करने को सरल बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं।

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